अगर कहीं मिलती बंदूक,
अगर कहीं मिलती बंदूक,
उसको मैं करता दो टूक ।
नली निकाल, बना पिचकारी
रंग देता यह दुनिया सारी ।
कउआ बगुला जैसा होता,
बगुला होता मोर।
लाल-लाल हो जाते तोते,
होते हरे चकोर ।
बतख नीली-नीली होती,
पीले-पीले बाज ।
एक-दूसरे का मैं फ़ौरन,
रंग बदलना आज ।
फिर जंगल के बीच खड़ा हो,
ऊँचे स्वर में गाता -
जन-गण-मन अधिनायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता ।
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