अरमान | Armaan

अरमान



है शौक़ यही अरमान यही,

हम कुछ करके दिखलाएँगे  |

मरने वाली दुनिया में हम,

अमरों में नाम लिखाएँगे  |


जो लोग गरीब भिखारी हैं,

जिन पर न किसी की छाया है  |

हम उनको गले लगाएँगे,

हम उनको सुखी बनाएँगे  |


जो लोग हारकर बैठे हैं,

उम्मीद मार कर बैठे हैं  |

हम उनके बुझे दिमागों में,

फिर से उत्साह जगाएँगे  | 


जो लोग अँधेरे घर में हैं,

अपनी ही नहीं नज़र में हैं  |

हम उनके कोने कोने में,

उद्द्यम का दीप जलाएंगे  |


रोको मत, आगे बढ़ो दो,

आज़ादी के दीवाने हैं  |

हम मातृभूमि की सेवा में,

अपना सर्वस्व लगाएँगे  ।


हम उन वीरों के बच्चे हैं,

जो धुनें पक्के-सच्चे थे  |

हम उनका मान बढ़ाएँगे,

हम जग में नाम कमाएँगे ।

- पंडित रामनरेश त्रिपाठी

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