बढ़े चलो
फूल बिछे हों या कांटें हों,
राह न अपनी छोड़ो तुम ।
चाहे जो विपदायें आये,
मुख को जरा न मोड़ो तुम ।
साथ रहें या रहें न साथी,
हिम्मत मगर न छोड़ो तुम ।
नहीं कृपा की भिक्षा मांगो,
कर न दीन बन जोड़ो तुम ।
बस ईश्वर पर रखो भरोसा,
पाठ प्रेम का पढ़े
चलो ।
जब तक जान बनी हो तन में,
तब तक आगे बढ़े चलो ।
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